Lesson 6 - जैव-प्रक्रम-Class 10 Science Notes

 जैव-प्रक्रम

जैव प्रक्रम

शरीर की वे प्रक्रियाएँ जो क्षति को रोकने और टूटने से बचाने के लिए आवश्यक हैं और जो मिलकर रखरखाव का कार्य करती हैं, जैव प्रक्रम
कहलाती हैं।
उदाहरण:- वृद्धि, उत्सर्जन, श्वसन, परिसंचरण, पाचन आदि।

जैव रासायनिक प्रक्रम

सभी प्रक्रियाओं में जीव बाहर से अर्थ़ात बाह्य ऊर्जा श्रोत से ऊर्जा प्राप्त करता है और शरीर के अंदर ऊर्जा श्रोत से प्राप्त जटिल पदार्थों का विघटन या निर्माण होता है जिससे शरीर के संरक्षण तथा वृद्धि के लिए आवश्यक अणुओं का निर्माण होता है। इसके लिए शरीर में रसायनिक क्रियाओं की एक श्रृखला संपन्न होती है जिसे जैव रासायनिक प्रक्रम कहते हैं।

अणुओ के विघटन की सामान्य रासायनिक युक्तियाँ

शरीर मे अणुओ के विघटन 
शरीर के अणुओं के विघटन की क्रिया एक रासायनिक युक्ति द्वारा होती है, जिसे चयापचय कहते हैं।
उपपचायी क्रियाएं जैव रासायनिक क्रियाएं होती हैं।

उपपचायी क्रियाएं दो प्रकार की होती हैं-
 (i) उपचयन( Anabolism):- यह रचनात्मक रासायनिक प्रतिक्रियाओं का समूह होता है जिसमें अपचय की क्रिया द्वारा उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग सरल अणुओं से जटिल अणुओं के निर्माण में होता है। इस क्रिया द्वारा सभी आवश्यक पोषक तत्व शरीर के अन्य भागों तक आवश्यकतानुसार पहुंचाए जाते है जिससे नए कोशिकाओं या उत्तको का निर्माण होता है।

(ii) अपचयन (Catabolism):- इस प्रक्रिया में जटिल कार्बनिक पदार्थों का विघटन होकर सरल अणुओं का निर्माण होता है तथा कोशिकीय श्वसन के दौरान ऊर्जा का निर्माण होता है।

प्रक्रम  के प्रकार 

कुछ प्रक्रम  जिनका हम अध्ययन करेंगे -
1. पोषण - वह प्रक्रम  जिनके द्वारा जीव भोजन ग्रहण करते है तथा उसका उपयोग करते हैं।
2. श्वसन - वह प्रक्रिया जिसके द्वारा एक जीवित प्राणी ऊर्जा प्राप्त करने के लिए भोजन लेता है और उसका उपयोग करता है, श्वसन कहलाता है।
3. वहन - पौधों या जानवरों में भोजन, पानी, खनिज और अन्य पदार्थों का एक भाग से दूसरे भाग में ले जाना परिवहन कहलाता है। 
4. उत्सर्जन:- जीवों के शरीर से हानिकारक उपापचयी अपशिष्ट का निष्कासन उत्सर्जन कहलाता है।

पोषण

जीवों में होने वाली वह प्रक्रिया जिसमें जीवों को जैव रासायनिक प्रक्रिया द्वारा जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में बदलने और उनका उपयोग करने के लिए ऊर्जा प्राप्त होती है, पोषण कहलाती है।
जैविक प्रक्रिया के उदाहरण:
i) पौधों में प्रकाश संश्लेषण
ii) पशुओं में पाचन

पोषण की आवश्यकता :-

विभिन्न गतिविधियों को करने के लिए जीवों को ऊर्जा की आवश्यकता होती है। पोषक तत्वों द्वारा ऊर्जा की आपूर्ति की जाती है। जीवों को वृद्धि और मरम्मत के लिए विभिन्न कच्चे पदार्थों की आवश्यकता होती है। ये कच्चे पदार्थ पोषक तत्वों द्वारा प्रदान किए जाते हैं।

पोषक तत्व:-

वे पदार्थ जो जीवों को पोषण प्रदान करते हैं, पोषक कहलाते हैं।
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा मुख्य पोषक तत्व हैं और वृहत पोषक तत्त्व कहलाते हैं।
खनिजों और विटामिनों की कम मात्रा में आवश्यकता होती है और इसलिए उन्हें सूक्ष्म पोषक तत्व कहा जाता है।

पोषण के तरीके

पोषण के दो तरीके हैं-
1. स्वपोषी पोषण (भोजन के लिए आत्मनिर्भर)
2. विषमपोषी पोषण (भोजन के लिए दूसरों पर निर्भर)


 स्वपोषी पोषण:-

पोषण की वह विधि जिसमें कोई जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करता है, स्वपोषी पोषण कहलाता है। हरे पौधे, पेड़, नीले-हरे शैवाल और कुछ अन्य जीव अपना भोजन स्वयं बनाकर स्व-पोषण प्राप्त करते हैं, इसलिए ये जीव स्वपोषी कहते हैं।
  • स्वपोषी पोषण करने वाले जीवों को स्वपोषी (हरे पौधे) कहा जाता है।
  • स्वपोषी पोषण उस प्रक्रिया द्वारा पूरा किया जाता है, जिसमें ऑटोट्रॉफ़्स(स्वपोषी) CO2 और H2O का प्रयोग करते हैं, और इन्हें क्लोरोफिल तथा सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में कार्बोहाइड्रेट में परिवर्तित करते हैं,  इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहा जाता है।
  • प्रकाश संश्लेषण का समीकरण

पौधों में पोषण

हरे पौधे अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं। ये सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में भोजन बनाते हैं। सूर्य का प्रकाश ऊर्जा प्रदान करता है, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी भोजन बनाने के लिए कच्चे पदार्थ हैं और क्लोरोप्लास्ट वह स्थान है जहाँ भोजन बनता है।

प्रकाश संश्लेषण

Photosynthesis (फोटोसिंथेसिस) (प्रकाश संश्लेषण) दो शब्दों फोटो और सिंथेसिस से मिलकर बना है। इसमें "फोटो" का अर्थ है "प्रकाश" और "सिंथेसिस(संश्लेषण)" का अर्थ है "बनाना", अर्थात। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में बनाना या बनाने की प्रक्रिया।

प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक पदार्थ

(i) सूर्य का प्रकाश
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड
(iii) पानी और
(iv) क्लोरोफिल
प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में उपरोक्त सभी आवश्यक हैं। इनमें से किसी की भी अनुपस्थिति में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया पूर्ण नहीं होगी।

प्रकाश संश्लेषण के चरण

(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश ऊर्जा का अवशोषण।
(ii) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में रूपांतरण।
(iii) पानी के अणुओं का हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में अपघटन।
(iv) कार्बन डाइऑक्साइड का कार्बोहाइड्रेट में अपचयन।












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