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Human Eye (मानव नेत्र)-Class 10

 मानव नेत्र (Human Eye) "मानव नेत्र एक जटिल प्रकाश-संवेदनशील अंग है, जो प्रकाश को ग्रहण करके उसे तंत्रिका संकेतों में परिवर्तित करता है और मस्तिष्क तक पहुँचाता है, जिससे हम अपने आसपास की वस्तुओं को देख और पहचान सकते हैं।" आँख एक कैमरे की तरह कार्य करती है, जिसमें प्रकाश प्रवेश करके छवि बनती है और मस्तिष्क उसे संसाधित करता है। मानव नेत्र की संरचना (Structure of the Human Eye) मानव नेत्र एक गोलाकार संरचना होती है, जिसका व्यास लगभग 2.5 सेंटीमीटर होता है। यह कई महत्वपूर्ण भागों से मिलकर बनी होती है- बाहरी भाग (External Parts) 1. स्क्लेरा (Sclera) स्क्लेरा को आमतौर पर "सफेद नेत्र" (White of the Eye) कहा जाता है। यह आँख की सबसे बाहरी और कठोर झिल्ली होती है, जो पूरे नेत्रगोलक को ढँकती है और सुरक्षा प्रदान करती है। यह मुख्य रूप से संयोजी ऊतक (Connective Tissue) से बनी होती है और इसमें रक्त वाहिकाएँ मौजूद होती हैं। कार्य:- स्क्लेरा आँख की सुरक्षा, स्थिरता और गति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 2. कॉर्निया (Cornea) कॉर्निया आँख का सबसे बाहरी और पारदर्शी भाग होता है, जो आँख क...

Electric Charge (विद्युत आवेश) - Class 12

 विद्युत आवेश विद्युत आवेश का इतिहास:- लगभग 600 ईसा पूर्व ग्रीस देश के मिलेटस के वैज्ञानिक थेल्स (Thales) ने ज्ञात किया कि ऐम्बर (Amber) नामक पदार्थ (ऐम्बर पीले रंग का एक रेजिनी पदार्थ (Resinous Substance) है जो बाल्टिक सागर के किनारे पाया जाता है ) को ऊन से रगड़ने पर उसमें कागज के छोटे-छोटे टुकड़े, तिनकों आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है। ऐम्बर को यूनानी भाषा में इलेक्ट्रॉन (electron) कहते हैं। अतः उपर्युक्त घटना के कारण को इलेक्ट्रिसिटी नाम दिया गया। इसी इलेक्ट्रिसिटी का हिन्दी रूपान्तरण विद्युत है। सन् 1600 में दूसरे वैज्ञानिक गिल्बर्ट ने देखा कि ऐसे अन्य कई पदार्थ जैसे काँच, एबोनाइट, राल्फर आदि है जो ऐम्बर की तरह ही न्यूनाधिक मात्रा में हल्की वस्तुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। पदार्थों में अन्य हल्के पदार्थों को अपनी ओर आकर्षित करने का यह गुण रगड़े जाने अर्थात् घर्षण के कारण आता है। पदार्थों में इस गुण के आ जाने पर पदार्थ विद्युन्मय (electrified) या आवेशित (charged) कहलाता है तथा वह कारक जिससे यह गुण पदार्थों में आ जाता है, विद्युत कहलाता है। विद्युत विद्युत आवेश पदार्थ क...

Lesson 12 - विद्युत-Class 10 Science Notes

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 विद्युत विद्युत आवेश की संकल्पना:-  जब एक कांच की छड़ को सिल्क के कपड़े से रगड़ा जाता है, तो इलेक्ट्रॉन कांच की छड़ से सिल्क के कपड़े में चले जाते हैं, इसलिए कांच की छड़ में इलेक्ट्रोनों की कमी हो जाती है जिससे कांच की छड़ धनात्मक आवेशित हो जाती है और सिल्क के कपड़े में इलेक्ट्रोनो की अधिकता हो जाती है जिससे सिल्क का कपड़ा ऋणात्मक आवेशित हो जाता है। जब एक एबोनाइट की  की छड़ को ऊन से रगड़ा जाता है तो इलेक्ट्रॉन ऊन से एबोनाइट की छड़ में चले जाते हैं।इसलिए एबोनाइट की छड़ में इलेक्ट्रोनों की अधिकता हो जाती है जिससे एबोनाइट की ऋणावेशित हो जाती है। और ऊन में इलेक्ट्रोनों की कमी हो जाती है जिससे ऊन धनवेशित हो जाता है। अतः घर्षण के इस संकल्पना के आधार पर आवेश को समझा गया। बाद में, कूलाम ने आवेश के बारे और अधिक जानकारी दिया। आवेश:-      द्रव्यमान के जैसे, आवेश भी पदार्थ का एक मूलभूत गुण है जिससे पदार्थ विद्युतमय हो जाता है। इसे q से प्रदर्शित किया जाता है। इसका S.I. मात्रक कूलाम होता है।  आवेश का मात्रक:- 1. S.I. पद्धति में आवेश का मात्रक 'कूलाम'  होता है...

Lesson 5 - तत्वों का आवर्त वर्गीकरण-Class 10 Science Notes

 तत्वों का आवर्त वर्गीकरण प्रस्तावना:- * अब तक प्रकृति में कुल 118 तत्वों की जानकारी मिली है। * तत्वों के वर्गीकरण का अर्थ है - उनको उनके गुणधर्मों के आधार पर अलग अलग समूहों में व्यवस्थित करना। * सबसे पहले तत्वों को धातु तथा अधातुओ में वर्गीकृत किया गया। तत्वों के वर्गीकरण से संबंधित कई परिकल्पनाएं आईं-  1. डोबेराइनर के त्रिक डोबेराइनर ने तीन तत्वों का त्रिक बनाया जिन्हे परमाणु द्रव्यमान के आरोही क्रम में रखने पर बीच वाले तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वों के परमाणु द्रव्यमान का लगभग औसत होता है। इस नियम को डोबेराइनर का त्रिक कहते है। उदाहरण:- 1.(Li)लिथियम (6), (Na)सोडियम (23), (K)पोटेशियम(40) 2. (Ca)कैल्शियम, (Sr)स्ट्रैंशियम, (Ba)बेरियम 3. (Cl)क्लोरीन, (Br)ब्रोमीन, (I)आयोडीन डोबेराइनर त्रिक की असफलता:-  जिस आधार पर जे. डब्ल्यू. डोबेराइनर ने त्रिक बनाया उस आधार पर वे उस समय तक केवल तीन ही त्रिक ज्ञात कर सके थे। वे अन्य तत्वों के साथ कोई और त्रिक नही बना सके। इसलिए त्रिक में वर्गीकृत करने की यह पद्धति असफल रही। 2. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम:- सन् 1866 में वैज्ञानिक जॉन...

Lesson 4 - कार्बन और उसके यौगिक-Class 10 Science Notes

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 कार्बन और उसके यौगिक कार्बन का परिचय:- कार्बन एक अधातु है इसका रासायनिक प्रतीक चिह्न C है तथा इसका परमाणु क्रमांक 6 है। प्राकृतिक रूप से इसके तीन समस्थानिक C 12, C 13 तथा C 14 हैं। इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,4 है तथा संयोजकता 4 है इसीलिए इसे चतुः संयोजी है। भोजन, कपड़े, दवाइयां, पुस्तकें अन्य बहुत सी वस्तुएं जिन्हे आप सूचीबद्ध कर सकते हैं सभी कार्बन से ही बने हैं। या दूसरे शब्दों में, सभी सजीव कार्बन से ही बने हैं। कार्बन की उपस्थिति:- कार्बन प्रकृति में बहुत अधिक संख्या में यौगिकें बनाता है। भूपर्पटी में खनिजों (कार्बोनेट, हाइड्रोजन कार्बोनेट, कोयला, पेट्रोलियम आदि) के रूप में केवल 0.02% उपलब्ध है। तथा वायुमंडल में 0.03% कार्बन ऑक्साइड है। कार्बन एक सामान्य तत्व है जो ब्रह्माण्ड में सभी जगहों पर पाया जाता है और विभिन्न प्रकार के यौगिक बनाता है। बहुत से हमारे आस पास के निर्जीव और सजीव वस्तुएं कार्बन के बने हैं। जैसे पौधे, जंतु, कागज, भोजन, वस्त्र, चीनी, धागे, दवाइयां, सौंदर्य प्रसाधन, आदि। ये सभी कार्बनिक यौगिक हैं जो या तो पौधे से या जीवों से प्राप्त होते हैं। कार्बनिक यौगीकों क...